एक वर्गीकरण जो निवेशकों को उनके द्वारा निवेश किए जाने वाले शेयरों के बारे में बेहतर निर्णय लेने में मदद करता है, वह है स्टॉक का बाजार पूंजीकरण। यह लेख आपको स्मॉल-कैप, मिड-कैप और लार्ज-कैप शेयरों के बीच के अंतर और आपके निवेश के लिए उनके महत्व के बारे में बताएगा।
प्रत्येक श्रेणी के बारे में विस्तार से जाने से पहले आइए, यह जानें कि शेयर बाजार में मार्केट कैप क्या भूमिका निभाता है।
बाजार पूंजीकरण: अर्थ और श्रेणियाँ
किसी कंपनी का बाजार पूंजीकरण उसके कुल मूल्य का अनुमानित माप है। इसकी गणना बाजार में किसी कंपनी के बकाया शेयरों की कुल संख्या को प्रत्येक शेयर की वर्तमान कीमत से गुणा करके की जाती है।
मार्केट कैप के अर्थ को बेहतर ढंग से समझने के लिए चलिए एक उदाहरण का उपयोग करते हैं।
मार्केट कैप का उदाहरण
ABC कंपनी के बाजार में 20 मिलियन बकाया शेयर हैं, और प्रत्येक शेयर की कीमत 50 रुपये है। इस कंपनी के बाजार पूंजीकरण की गणना इस प्रकार की जाएगी:
बकाया शेयर x मूल्य प्रति शेयर = 20 मिलियन x 50 = 1 बिलियन रुपये
इस गणना से ABC कंपनी का बाजार पूंजीकरण 1 बिलियन रुपये निकला है।
इसलिए, भारत (या अन्य देशों) में शेयर बाजार में कारोबार करने वाली कंपनियों को आम तौर पर लार्ज-कैप, मिड-कैप और स्मॉल-कैप में वर्गीकृत किया जा सकता है। इसके अलावा, आप भारतीय स्टॉक एक्सचेंज पर माइक्रो-कैप कंपनियों के शेयर पा सकते हैं। आइए अब देखें कि एक लार्ज-कैप कंपनी और एक मिड-कैप कंपनी में कितना अंतर है।
नोट! बाजार पूंजीकरण को अक्सर संक्षिप्त तौर पर “मार्केट कैप” के रूप में संदर्भित किया जाता है।
लार्ज-कैप स्टॉक क्या है?
लार्ज-कैप कंपनियाँ वे हैं, जो बहुत अच्छी तरह से स्थापित हैं, जिसका अर्थ है कि उनके पास बाजार में उच्च हिस्सेदारी है। भारत में, 20,000 करोड़ रुपये या उससे अधिक के मार्केट कैप वाली कंपनियों को लार्ज-कैप कंपनियाँ माना जाता है। ये संगठन, उद्योग पर हावी हैं और इन्हें बहुत स्थिर माना जाता है। वे आमतौर पर दशकों से उस उद्योग में होते हैं। बड़ी पूंजी वाली कंपनियाँ अच्छी तरह से प्रबंधन करती हैं, यहाँ तक कि अंतर्राष्ट्रीय या राष्ट्रीय मंदी या ऐसी घटनाओं के दौरान भी जो अन्य कंपनियों को डुबा सकती हैं।
न्यूनतम जोखिम वाले शेयरों में निवेश करने के इच्छुक निवेशक के लिए, लार्ज-कैप स्टॉक एक उत्कृष्ट विकल्प हैं क्योंकि वे मिड-कैप और स्मॉल-कैप शेयरों की तुलना में कम अस्थिर होते हैं। उनकी कम अस्थिरता उन्हें अपेक्षाकृत कम जोखिम भरा निवेश बनाती है।
भारत में लार्ज-कैप बाजार की कंपनियों के कुछ सबसे प्रसिद्ध उदाहरण रिलायंस इंडस्ट्रीज और इंफोसिस हैं। उनकी स्टॉक एक्सचेंजों पर मजबूत पकड़ है और उनका ट्रैक रिकॉर्ड समान है, जिससे उन्हें किसी भी निवेशक के पोर्टफोलियो में शामिल करने की सलाह दी जाती है।
मिड-कैप स्टॉक क्या है?
मिड कैप कंपनियों का मार्केट कैप 5,000 करोड़ रुपये से ऊपर लेकिन 20,000 करोड़ रुपये से कम होता है। लार्ज-कैप की तुलना में मिड-कैप अधिक अस्थिर होते हैं, जिसका अर्थ है कि लार्ज-कैप बाजार कंपनियों की तुलना में इनमें निवेश करना जोखिम भरा है।
हालाँकि, मिड-कैप कंपनियों में भी भविष्य में लार्ज-कैप कंपनियों के रूप में विकसित होने की क्षमता होती है। क्योंकि इनके मौजूदा मूल्य में इनके सापेक्ष विकास की क्षमता लार्ज-कैप शेयरों से अधिक है, इसलिए वे विकास के लिए जोखिम उठाने वाले निवेशकों के लिए एक आकर्षक निवेश बनती हैं।
भारतीय स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध कुछ मिड-कैप कंपनियाँ Metropolis Healthcare, LIC Housing Finance और Castrol India हैं।
स्मॉल-कैप स्टॉक क्या है?
5,000 करोड़ रुपये से कम की कुल मार्केट कैप वाली सभी सार्वजनिक कंपनियों को स्मॉल-कैप कहा जाता है, जिसका अर्थ है कि वे हाई-कैप शेयरों वाली बड़ी कंपनियों की तुलना में काफी कम हैं।
उनकी बढ़ती प्रकृति का मतलब है कि वे महत्वपूर्ण रिटर्न दे सकते हैं। वे निवेश करने के लिए बहुत जोखिम भरे हैं क्योंकि इस बात की संभावना, कि वे समय के साथ सफल होंगे, काफी कम है। ऐसा इन कंपनियों की अस्थिर प्रकृति के कारण है। स्मॉल-कैप कंपनियाँ अक्सर अपनी क्षमता से कम कार्य करती हैं और अर्थव्यवस्था के धीमा होने की स्थिति में उनके नीचे जाने की संभावना सबसे अधिक होती है। हालाँकि, कुछ सफल कंपनियाँ उच्च विकास दर भी देखती हैं जब मंदी के बाद अर्थव्यवस्था पनपने लगती है।
Hindustan Zinc, KNR Constructions, DB Corp और Hathway Cable भारत के स्टॉक एक्सचेंजों (जैसे NSE) में सूचीबद्ध कुछ स्मॉल-कैप मार्केट कंपनियाँ हैं।
स्मॉल-कैप बनाम मिड-कैप बनाम लार्ज-कैप कंपनियाँ
आइए अब स्मॉल-कैप, मिड-कैप और लार्ज-कैप कंपनियों के बीच की विशेषताओं के अंतर पर चर्चा करें।
कंपनी की प्रतिष्ठा
लार्ज-कैप कंपनियाँ इक्विटी बाजार में अच्छी तरह स्थापित होती हैं। उन्होंने विश्वसनीय प्रबंधन के साथ व्यापार मॉडल्स को आजमाया और परखा होता है और देश की टॉप 100 कंपनियों में स्थान पाने की प्रवृत्ति रखती हैं। मिड-कैप कंपनियाँ सुगठित होती हैं और लार्ज-कैप और स्मॉल-कैप कंपनियों के बीच में आती हैं। वे आम तौर पर देश की टॉप 100 से 250 कंपनियों के बीच रैंक करती हैं। अंत में आती हैं, स्मॉल-कैप कंपनियाँ, जिनका आकार बहुत छोटा होता है, इनमें तेजी से विस्तार करने की क्षमता होती है।
बाजार पूंजीकरण
लार्ज-कैप कंपनियों का मार्केट कैप मूल्य 20,000 करोड़ रुपये या उससे अधिक होता है। दूसरी ओर, मिड-कैप कंपनियों का मार्केट कैप 5,000 करोड़ से 20,000 करोड़ रुपये के बीच होता है, जबकि स्मॉल-कैप कंपनियों का मार्केट कैप 5,000 करोड़ रुपये से कम होता है।
अस्थिरता
किसी कंपनी में निवेश से जुड़ा जोखिम सीधे तौर पर उसकी अस्थिरता से जुड़ा होता है। यदि स्टॉक की कीमत अशांत बाजारों में भी अपना मूल्य बनाए रखती है, तो इसे कम अस्थिर माना जाता है। इसके विपरीत, ऐसे स्टॉक जो समय-समय पर व्यापक रूप से भिन्न मूल्यों का सामना करते हैं, उन्हें बहुत ही अस्थिर माना जाता है।
लार्ज-कैप कंपनियों का मूल्य कम अस्थिर होता है, जिसका अर्थ है कि भले ही उनका मूल्य अस्थायी रूप से गिर सकता है, पर वे बुरी अर्थव्यवस्था में भी काफी हद तक स्थिर रहेंगी। यह उन्हें अपेक्षाकृत कम जोखिम के साथ काफी सुरक्षित और विश्वसनीय निवेश बनाता है।
मिड-कैप स्टॉक आमतौर पर लार्ज-कैप स्टॉक्स की तुलना में ज़्यादा अस्थिर होते हैं और उच्च जोखिम से जुड़े होते हैं। अंत में आती हैं, स्मॉल-कैप कंपनियाँ जो की बहुत ही अस्थिर होती हैं, उनकी कीमतों में काफी उतार-चढ़ाव होता है, जिससे निवेशकों के लिए जोखिम बढ़ जाता है।
विकास क्षमता
स्मॉल-कैप और लार्ज-गैप कंपनियों के बीच विकास करने की क्षमता में काफी अंतर होता है। हालाँकि, लार्ज-कैप स्टॉक कम जोखिम उठाने वाले निवेशकों के लिए अच्छी तरह से अनुकूल हैं, लेकिन उनका स्थिर मगर धीमा विकास दर होता है। दूसरी ओर, मिड-कैप और स्मॉल-कैप कंपनियाँ जोखिम भरी होती हैं, लेकिन उनमें वृद्धि (और हानि) की संभावना ज़्यादा होती है।
तरलता
इस वित्तीय शब्द “तरलता” का उपयोग यह बताने के लिए किया जाता है कि शेयर की कीमत को प्रभावित किए बिना निवेशक कितनी जल्दी और आसानी से स्टॉक खरीद या बेच सकते हैं। क्योंकि लार्ज-कैप शेयरों की शेयर बाजार में अधिक माँग होती है, इसलिए उनके पास सबसे ज़्यादा तरलता होती है। इसीलिए, इन पोजिशंस को कभी भी बेचना आसान होता है। दूसरी ओर, मिड-कैप कंपनियों के पास कम तरलता होती है, और स्मॉल-कैप कंपनियों के पास तो सबसे कम तरलता होती है, जिससे पोजिशन को बंद करना ज़्यादा कठिन हो जाता है।
म्युचुअल फंड्स और बाजार पूंजीकरण (मार्केट कैप)
म्युचुअल फंड्स लगभग हर अर्थव्यवस्था का एक अभिन्न अंग हैं। इन फंड योजनाओं को मार्केट कैप सिस्टम का उपयोग करके भी वर्गीकृत किया जा सकता है, जिसका अर्थ है स्मॉल-कैप, मिड-कैप या लार्ज-कैप फंड्स। उदाहरण के लिए, एक लार्ज-कैप म्यूचुअल फंड क्या है? यह एक ऐसा फंड है जो मुख्य रूप से लार्ज-कैप शेयरों में निवेश करता है। इस प्रकार स्मॉल-कैप और मिड-कैप योजनाएँ भी स्मॉल-कैप और मिड-कैप शेयरों में निवेश करेंगी।
स्मॉल-कैप, मिड-कैप और लार्ज-कैप फंडों के बीच में जोखिम अंतर
तो, आप निवेश करने के लिए सबसे अच्छी म्युचुअल फंड योजना कैसे चुनते हैं? आपका निर्णय आपके जोखिम उठाने की क्षमता पर निर्भर करना चाहिए।
स्मॉल-कैप फंडों में क्या जोखिम है?
ऐसे म्युचुअल फंडों का निवेश फोकस स्मॉल-कैप कंपनियाँ होती हैं। इन फंडों में अधिक जोखिम होता है क्योंकि स्मॉल-कैप कंपनियाँ स्थापित नहीं होती और उनका व्यवसाय बहुत फला-फूला नहीं होता। वे विकास की अपनी आवश्यक अवधि में होती हैं और मंदी के दौरान जीवित रहने के लिए संघर्ष कर सकती हैं।
लेकिन, अगर स्मॉल-कैप अच्छा प्रदर्शन करता है, तो विकास दर बाकी मिड-कैप और लार्ज-कैप निवेशों की तुलना में अधिक हो सकता है। स्मॉल-कैप फंड्स इस संभावना का लाभ उठाने की कोशिश करते हैं: ज़्यादा जोखिम के साथ, ज़्यादा रिटर्न की संभावना।
मिड-कैप फंड्स में क्या जोखिम है?
मिड-कैप फंडों में विकास की थोड़ी अधिक क्षमता होती है और इसीलिए उच्च म्यूचुअल फंड रिटर्न की संभावना होती है। लेकिन, इसमें जोखिम ज़्यादा है क्योंकि लार्ज-कैप की तुलना में मिड-कैप कंपनियाँ बाजार की अस्थिरता का मुकाबला करने में कम मजबूत होती हैं। एक फंड मैनेजर का मुख्य उद्देश्य भविष्य में सफलता की उच्च संभावना वाली मिड-कैप कंपनियों में फंड का निवेश करना है।
लार्ज-कैप फंड्स में क्या जोखिम है?
ब्लू-चिप कंपनियाँ अधिकांश निवेश लार्ज-कैप फंडों द्वारा करती हैं। इस प्रकार इन फंडों को कुछ फायदे विरासत में मिलते हैं: क्योंकि वे जिन कंपनियों में निवेश करते हैं, वे स्थिर व्यवसाय हैं, इसलिए इन फंड्स में बाजार की अस्थिरता को झेलने की ताकत भी होती है। इन शेयरों की उच्च माँग भी उन्हें बहुत तरल बनाती है। कम जोखिम के साथ आता है धीमा विकास दर, और ये फंड आमतौर पर लंबे समय में मामूली लेकिन लगातार रिटर्न लाते हैं।
आपके पोर्टफोलियो में बाजार पूंजीकरण की भूमिका
उम्मीद है, कि अब आप अपने निवेश पोर्टफोलियो में बाजार पूंजीकरण की महत्वपूर्ण भूमिका को समझ गए होंगे। अर्थव्यवस्था की स्थिति के आधार पर लार्ज-कैप, मिड-कैप और स्मॉल-कैप शेयरों का प्रदर्शन बहुत बदलता है। जब लार्ज-कैप शेयर अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहे होते, तो मिड-कैप और स्मॉल-कैप शेयरों में तेजी आ सकती है। दूसरी ओर, जब मंदी की शुरुआत के दौरान मिड-कैप या स्मॉल-कैप में गिरावट आती है, तो आपके पोर्टफोलियो में लार्ज-कैप कंपनियाँ समग्र रिटर्न को स्थिर कर सकती हैं।
निष्कर्ष
सभी मार्केट कैपों में निवेश करके अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाना आवश्यक है। यह आपके पोर्टफोलियो को बाजार की बदलती स्थितियों का सामना करने और रिटर्न उत्पन्न करने में मदद करेगा। किसी भी चीज में निवेश करने से पहले अपने वित्तीय लक्ष्यों, जोखिम लेने की क्षमता और निवेश की अवधि पर विचार करें। यदि आपको अधिक जानकारी या समर्थन की आवश्यकता है तो एक बड़े ब्रोकर के साथ खाता खोलना भी आपकी काफी मदद कर सकता है। यह आपको पेशेवर बाजार अनुसंधान और विश्लेषण के साथ-साथ विस्तृत ज्ञान के आधार तक पहुँच प्रदान करेगा।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
यदि आपके मन में अब भी प्रश्न हैं कि एक लार्ज/मिड/स्मॉल कैप कंपनी कौन सी है और भारत में खरीदने के लिए किसके शेयर सबसे अच्छे हैं, तो इनके उत्तर जानने के लिए नीचे पढ़ें।
क्या लार्ज-कैप कंपनियों की विकास क्षमता कम है?
हाँ, लार्ज-कैप कंपनियों की मजबूत स्थिरता का आम तौर पर मतलब है कि उनके पास मिड-कैप और स्मॉल-कैप कंपनियों की तुलना में विकास क्षमता कम है।
किसी विशिष्ट कंपनी के बाजार पूंजीकरण की गणना करने का सूत्र क्या है?
किसी कंपनी के बाजार पूंजीकरण को निकलने के लिए, बस उसके सभी बकाया शेयरों की संख्या को प्रत्येक शेयर की मौजूदा कीमत से गुणा करें।
यदि शेयरों की कुल संख्या 1,000 है और प्रत्येक शेयर की कीमत 200 रुपये है, तो कंपनी का मार्केट कैप 1000 X 200 = 200,000 (2 लाख रुपये) होगा।
स्मॉल-कैप फंड्स में किसे निवेश करना चाहिए?
संभावित उच्च लाभ की तलाश में उच्च जोखिम उठाने वाले आक्रामक निवेशक को स्मॉल कैप फंड्स में निवेश करना चाहिए। हालाँकि, कहीं भी निवेश करने से पहले पूरी सावधानी बरतना आवश्यक है।
मैं स्मॉल-कैप स्टॉक कैसे चुनूँ?
निम्नलिखित बातों पर ध्यान देकर कोई भी स्मॉल-कैप स्टॉक (या कोई स्टॉक) चुन सकता है:
- कंपनी की वित्तीय ताकत। लगातार लाभ, स्वस्थ मार्जिन, कम कर्ज और उचित इक्विटी प्रबंधन वाली वित्तीय रूप से मजबूत कंपनी चुनें।
- कंपनी की बिक्री और मुनाफा। कंपनी की कम से कम पिछले पाँच वर्षों की कमाई की जाँच करें। लगातार बिक्री और साल-दर-साल बढ़ते मुनाफे वाली कंपनी के स्टॉक में निवेश करना समझदारी है।
- बढ़िया प्रबंधक। कंपनी के लीडरों और निवेशकों की पृष्ठभूमि की व्यापक जाँच करें और अगर आप उनके नेतृत्व और दूरदर्शिता में विश्वास रखते हैं तो निवेश करें।
मिड-कैप या लार्ज-कैप किस में निवेश करना बेहतर है?
यह आपकी जोखिम उठाने की क्षमता पर बहुत निर्भर करता है। लार्ज-कैप शेयरों की तुलना में मिड-कैप शेयरों में निवेश जोखिम भरा होता है पर इनमें अधिक रिटर्न देने की संभावना भी होती है। दूसरी ओर, लार्ज-कैप शेयर अस्थिरता को संभालने वाले जाँचे और परखे हुए स्टॉक्स हैं। यदि आप नुकसान के जोखिम को कम करना चाहते हैं तो उनसे जुड़े रहें।