हर देश में एक केंद्रीय बैंक होता है और भारत में यह बैंक RBI है। इस लेख से, आपको RBI का पूर्ण परिचय मिलेगा: आप RBI का पूरा नाम, इसकी स्थापना कब हुई, इसका राष्ट्रीयकरण कब किया गया और इसके बारे में और भी बहुत कुछ जान पाएँगे।
RBI के बारे में
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का इतिहास बहुत पुराना नहीं है; यह 1935 में स्थापित किया गया था। RBI भारत में बैंकिंग प्रणाली के लिए जिम्मेदार है और भारतीय रुपये का प्रबंधन करता है। यह आर्थिक स्थिरता बनाए रखने के लिए देश की मौद्रिक और ऋण प्रणालियों की निगरानी भी करता है।
नोट! RBI की स्थापना कोलकाता में भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम (Reserve Bank of India Act) का पालन करते हुए हुई थी। इस इमारत में अब RBI को समर्पित एक संग्रहालय है।
भारतीय रिजर्व बैंक को समझें
आज, RBI का मुख्यालय मुंबई में है और यह वित्तीय बाज़ार की कई तरह से मदद करता है। RBI ने उस दर की स्थापना की जिस पर भारतीय वाणिज्यिक (कमर्शियल) बैंक एक दूसरे को उधार देते हैं। मुंबई इंटरबैंक ऑफर रेट (Mumbai Interbank Offer Rate या MIBOR) भारत में उन वित्तीय साधनों के लिए एक मानक है जो ब्याज दरों से संबंधित हैं।
क्योंकि RBI एक बैंक है, तो आप सोचेंगे कि भारतीय रिजर्व बैंक के शेयर की कीमत क्या है। दुर्भाग्य से, RBI के शेयर की कोई कीमत नहीं है और BSE पर सूचीबद्ध नहीं है।
RBI की भूमिका और कार्य
आप पूछ सकते हैं कि RBI के कार्य क्या हैं। RBI के कार्यों की व्याख्या करते हुए हमें पहले यह कहना चाहिए कि भारत के संपूर्ण वित्तीय क्षेत्र की निगरानी करना इसका कर्तव्य है। RBI का काम देश की मौद्रिक और क्रेडिट प्रणालियों को नियंत्रित और विनियमित करना है। यह जनता को राष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली में विश्वास रखने में मदद करता है, ब्याज दरों को स्थिर रखता है, और जनता को अच्छे बैंकिंग विकल्प देता है। आखरी है, RBI की देश के लिए भारतीय मुद्रा (रुपया) जारी करने की जिम्मेदारी।
भारतीय रिजर्व बैंक की भूमिका परिभाषित करने के बाद, आइए इसके कार्यों की ओर बढ़ते हैं:
- यह एकमात्र संगठन है जो मुद्रा नोटों की छपाई को नियंत्रित करता है (एक रुपये के नोट को छोड़कर, जिसे वित्त मंत्रालय द्वारा मुद्रित किया जाता है)।
- भारतीय रिजर्व बैंक सरकार के बैंकर के रूप में कार्य करता है। इसकी जिम्मेदारियों में देश के सार्वजनिक ऋण की देखरेख और सरकार को मौद्रिक नीति से जुड़े मामलों पर सलाह देना शामिल है।
- इसके अन्य नामों के अलावा, केंद्रीय बैंक को आमतौर पर “बैंकर का बैंक” कहा जाता है क्योंकि यह वाणिज्यिक (कमर्शियल) बैंकों के समान सेवाएँ भी प्रदान करता है।
- भारतीय रिजर्व बैंक देश की साख यानी क्रेडिट और बैंकिंग प्रणाली को नियंत्रित करता है। यह मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखता है, और नीतिगत निर्णय लेता है।
- केंद्रीय बैंक विदेशी मुद्रा को खरीद और बेच कर स्थिर विनिमय दरों को बनाए रखने के लिए अपने विदेशी मुद्रा भंडार का उपयोग करता है।
नोट! RBI विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम 1999 के तहत सभी विदेशी मुद्राओं का प्रबंधन भी करता है।
जानने योग्य कुछ विशेष बातें
RBI का इतिहास दुनिया के अधिकांश अन्य केंद्रीय बैंकों के विपरीत है। प्रारंभ में, इसे 1935 में एक निजी निगम के रूप में स्थापित किया गया था; 14 साल बाद, RBI का राष्ट्रीयकरण किया गया, जिसका अर्थ है कि 1949 में बैंक को राज्य प्रशासन में लाया गया।
राष्ट्रीय सरकार का केंद्रीय निदेशक मंडल रिजर्व बैंक को नियंत्रित करता है। भारत सरकार हमेशा भारतीय बैंकों के निदेशकों को 4 साल के कार्यकाल के लिए ही नियुक्त करती है।
इनकी वेबसाइट (website) के अनुसार, RBI का वर्तमान में ध्यान बैंक धोखाधड़ी और समेकित लेखांकन से जुड़ी कानूनी चुनौतियों से निपटने और अपने बैंकों के लिए एक सुपरवाइजरी रेटिंग मॉडल को विकसित करने के लक्ष्य के साथ वित्तीय संस्थानों की विस्तारित निगरानी को बनाए रखना है।
निष्कर्ष
तो हमने अब, RBI की भूमिका और कार्य पर चर्चा कर ली है। भारतीय रिजर्व बैंक भारत की अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करता है। यह सुनिश्चित करना कि भारत की मुद्रा, रुपया, की पर्याप्त आपूर्ति हो और यह उचित स्तर पर अपना मूल्य रखे, RBI की जिम्मेदारी है। भारतीय रिजर्व बैंक को भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास, स्थिरता, और विकास को सुविधाजनक बनाने के लिए एक स्थिर और विश्वसनीय मौद्रिक प्रणाली बनाए रखना भी आवश्यक है।