ट्रेडरों को शेयरों का विश्लेषण करने और ट्रेडिंग निर्णय लेने के लिए तकनीकी और मौलिक विश्लेषण के बारे में जानना अत्यन्त आवशयक है। हालाँकि, शेयर बाजार में नए ट्रेडरों के लिए इन दोनों के बीच के अंतर को समझना थोड़ा मुश्किल है। इस लेख में इस स्थिति को बहतर करने की कोशिश की जाएगी और तकनीकी और मौलिक विश्लेषण के बीच के अंतर को अच्छी तरह से समझाया जाएगा।
मौलिक विश्लेषण क्या होता है?
मौलिक विश्लेषण शेयरों के आंतरिक मूल्य को निर्धारित करने के लिए उनके मूल्यांकन करने की एक प्रक्रिया है। मौलिक विश्लेषण में, विभिन्न कारकों का अध्ययन किया जाता है, उद्योग की स्थिति से लेकर व्यक्तिगत कंपनियों के प्रबंधन तक। मौलिक विश्लेषक के अंतर्गत हर कंपनी के रिटर्न, एसेट्स, व्यय और देनदारियों की जाँच की जाती है। यह सब आखिर में बाजार में मूल्य कार्रवाई यानी प्राइस एक्शन की भविष्यवाणी करने में मदद करता है।
तकनीकी विश्लेषण क्या होता है?
तकनीकी विश्लेषण, मौलिक विश्लेषण के विपरीत, सांख्यिकीय ट्रेंडों की जाँच करता है जैसे की शेयर के मूल्य और मात्रा में होने वाले उतार-चढ़ाव। तकनीकी विश्लेषक यह मान के काम करते हैं कि शेयर की कीमत में पहले ही सभी ज्ञात मूलभूत कारकों पर विचार किया जा चुका है, इसलिए उन्हें अलग से जाँचने की कोई आवश्यकता नहीं है। वे शेयर के अंतर्भूत मूल्य को नहीं मापते हैं लेकिन ट्रेंडों और पैटर्नों की पहचान करने के लिए चार्ट का उपयोग करते हैं। इनसे वह यह समझ पाते हैं कि भविष्य में शेयर की कीमत की चाल कैसी रहेगी।
तकनीकी विश्लेषण और मौलिक विश्लेषण के बीच में क्या अंतर होता है?
मौलिक विश्लेषण किसी कंपनी के वित्तीय विवरणों और व्यावसायिक संभावनाओं का विश्लेषण करके कंपनी के शेयरों के अनुमानित मूल्य का अनुमान लगाते हैं। तकनीकी विश्लेषण बाजार में होने वाली कार्रवाई यानी मार्किट एक्शन और शेयर के मूल्यों पर होने वाली इसकी प्रतिक्रिया का अध्यन करते हैं। दोनों विधियों के अपने फायदे और नुकसान हैं, लेकिन ट्रेडर अधिक व्यापक रूप से तकनीकी विश्लेषण का उपयोग करते हैं क्योंकि यह बाजारों की एक व्यापक श्रेणी पर लागू होता है। मौलिक विश्लेषण में अधिक समय और प्रयास लगता है, लेकिन एक लंबी अवधि में यह अधिक सटीक हो सकता है।
इन दोनों की व्याख्या करने के बाद, अब यह पता लगाने का समय आ गया है कि मौलिक विश्लेषण और तकनीकी विश्लेषण के बीच में क्या अंतर हैं और ट्रेडरों को विदेशी मुद्रा यानी फॉरेक्स या अन्य प्लेटफॉर्म में ट्रेड करने के लिए इन दोनों में से क्या चुनना चाहिए।
- फोकस (केंद्र बिंदु)
मौलिक विश्लेषण कंपनी के व्यवसाय के मूलभूत सिद्धांतों पर ध्यान केंद्रित करता है, जैसे कि इसकी वित्तीय स्थिति, प्रबंधन की टीम, प्रतिस्पर्धी लाभ, आदि। वहीं दूसरी ओर, तकनीकी विश्लेषण मूल्य के चार्ट और मात्रा के संकेतकों जैसे कि बाजार डेटा पर केंद्रित होता है।
- लक्ष्य
मौलिक विश्लेषण का उपयोग किसी सिक्योरिटी यानी प्रतिभूति के आंतरिक मूल्य को निर्धारित करने के लिए किया जाता है, अर्थात, इसके अंतर्निहित मूल सिद्धांतों के आधार पर इसका मूल्य तय करता है। वहीं, तकनीकी विश्लेषण पिछले बाजार के आंकड़ों के आधार पर भविष्य की कीमतों में उतार-चढ़ाव की भविष्यवाणी करता है।
- समय सीमा
मौलिक विश्लेषकों का दृष्टिकोण आमतौर पर दीर्घकालिक यानी लंबी अवधि का होता है, जबकि तकनीकी विश्लेषक अल्पकालिक ट्रेंडों यानी रुझानों पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
- विश्लेषण
मौलिक विश्लेषण वस्तुनिष्ठ होते है, जबकि तकनीकी विश्लेषण व्यक्तिपरक होते है क्योंकि इसमें चार्ट के पैटर्नों की व्याख्या शामिल होती है।
कौन सा बेहतर है?
ट्रेडिंग और निवेश निर्णयों के लिए चुनी जाने वाली विधि, आपके लक्ष्यों और समय सीमा पर निर्भर करती है। यदि आप लंबी अवधि में निवेश करना चाहते हैं तो मौलिक विश्लेषण एक सही विधि है। लेकिन यदि आप इंट्राडे या स्विंग ट्रेडिंग के माध्यम से तुरंत लाभ कमाना चाहते हैं तो तकनीकी विश्लेषण अधिक स्वीकार्य होते हैं।
इससे यह पता चलता है कि आपके लक्ष्य और उद्देश्य आपके चुनाव का निर्धारण करते हैं। अगर आप अवमूल्यित यानी अंडरवैल्यूड शेयर खरीदना चाहते हैं जिसमें लंबी अवधि के पूंजीगत लाभ की संभावना है, तो मौलिक विश्लेषण चुनें। अगर आपको लगता है कि बाजार अब कुशल है और कीमतें सभी आवश्यक जानकारी दर्शाती हैं, तो निर्णय लेने के लिए तकनीकी विश्लेषण का उपयोग करें।
सारणीबद्ध रूप में मौलिक और तकनीकी विश्लेषण के बीच के अंतर
नीचे, दी गई तालिका में, मौलिक विश्लेषण और तकनीकी विश्लेषण के बीच के मुख्य अंतर दिए गए हैं:
तुलना का आधार | तकनीकी विश्लेषण | मौलिक विश्लेषण |
परिभाषा | तकनीकी विश्लेषण का उपयोग कंपनी के शेयर के मूल्य के पैटर्न को समझने के लिए किया जाता है। यह स्टॉक की कीमत और मात्रा से संबंधित डेटा पर केंद्रित होता है। | मौलिक विश्लेषण कंपनी के वित्तीय प्रदर्शन को पहचानने और समझने में मदद करता है। इसका उपयोग किसी कंपनी के मूल सिद्धांतों की जाँच करने के लिए किया जाता है। |
डेटा स्रोत | चार्ट विश्लेषण | समाचार, आर्थिक रिपोर्ट, उद्योग सांख्यिकी, दलाली विश्लेषण आदि। |
समय सीमा | अल्पकालिक निवेश के लिए उपयुक्त। | लंबी अवधि के निवेश के लिए उपयुक्त। |
डेटा | केवल पिछले डेटा पर ध्यान केंद्रित करते हैं। | पिछले और वर्तमान डेटा पर ध्यान केंद्रित करते हैं। |
लक्ष्य | बाजार से पैसा निकालने या निवेश करने का सही समय निर्धारित करने के लिए। | किसी विशेष स्टॉक का आंतरिक मूल्य निर्धारित करने के लिए। |
ट्रेडर का प्रकार | ट्रेडर जो लंबी अवधि की पोज़िशन्स पर रहते हैं। | स्विंग ट्रेडर्स और डे ट्रेडर्स संक्षेप में ट्रेड करते हैं। |
संकेतक | खर्च, संप्राप्ति, संपत्ति, ऋण-इक्विटी अनुपात, देनदारियाँ, इक्विटी अनुपात पर वापसी, आदि का अध्यन करते हैं। | EMA, RSI, MACD, SMA और अन्य तकनीकी संकेतकों वाले चार्ट का उपयोग करते हैं। |
बाहरी समाचारों का प्रभाव | बाहरी समाचारों पर निर्भर नहीं होते हैं। | यह बाहरी समाचारों द्वारा प्रभावित हो सकते हैं। |
निष्कर्ष
ट्रेडर्स भविष्य के स्टॉक मूल्य के ट्रेंडों की खोज और भविष्यवाणी करने के लिए ही दोनों तरीकों का उपयोग करते हैं। लेकिन शेयरों के मौलिक और तकनीकी विश्लेषण में काफी अंतर है। मौलिक विश्लेषण किसी कंपनी के आंतरिक मूल्य को निर्धारित करने के लिए उसके शेयर का मूल्यांकन करते हैं। तकनीकी विश्लेषण शेयर की कीमत और मात्रा में पैटर्न और ट्रेंडों की जाँच करते हैं। कुछ ट्रेडर एक विधि से दूसरे को ज्यादा पसंद करते हैं, जबकि कुछ दोनों के संयोजन का उपयोग करते हैं। आखिरकार, यह आपको तय करना है कि कौन सी विधि आपके लिए सबसे अच्छी है।