पुलबैक एक सामान्य ट्रेडिंग अवधारणा है जिसका व्यापक रूप से सही स्तरों पर पोजीशन खोलने के लिए उपयोग किया जाता है। पुलबैक को रिट्रेसमेंट और करेक्शन के रूप में भी जाना जाता है। यदि आप कुछ नियम जानते हैं तो पुलबैक ट्रेडिंग जटिल नहीं है।
नियम 1: समग्र ट्रेंड की पहचान करें
आँकड़ों के अनुसार, ट्रेंड- फालोइंग प्रणाली का उपयोग करने वाले ट्रेडर्स की सफलता दर लगभग 50% है। हालाँकि, यदि आप एक ट्रेंड में ट्रेड करना सीखते हैं, तो आप आय प्राप्त करने की संभावना बढ़ा सकते हैं।
कीमत स्थायी रूप से बढ़ या गिर नहीं सकती है; इसलिए, करेक्शन या पुलबैक हैं।
पुलबैक स्थापित ट्रेंड के भीतर शोर्ट टर्म प्राइस करेक्शन है।
यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि समग्र ट्रेंड के विरुद्ध सभी चालें पुलबैक नहीं हैं। यदि कीमत ट्रेंड के विपरीत चलती है ताकि वह घूम सके, तो यह अब पुलबैक नहीं है।
इसलिए, पुलबैक को सफलतापूर्वक ट्रेड करने के लिए, आपको समग्र ट्रेंड की पहचान करने और उसकी दिशा में ट्रेड करने की आवश्यकता है। एक अपट्रेंड में, पुलबैक तब होता है जब कीमत नीचे जाती है। डाउनट्रेंड में, पुलबैक तब होता है जब कीमत बढ़ जाती है। इसका मतलब है कि आपको डाउनट्रेंड में बेचना चाहिए और पुलबैक के बाद अपट्रेंड में खरीदना चाहिए।
नियम 2: ट्रेंडलाइन प्लेस करें
पुलबैक ट्रेडिंग का विचार उनट्रेंड में उच्च कीमत पर बेचना और अपट्रेंड में कम कीमत पर खरीदना है। प्रवेश और निकास बिंदुओं की पहचान करने का सबसे प्रभावी तरीका ट्रेंडलाइन सेट करना है।
ट्रेंडलाइन प्लेस करना एक साधारण पुलबैक ट्रेडिंग रणनीति है। नीचे दिया गया चार्ट EUR/USD जोड़ी के डाउनट्रेंड के भीतर पुलबैक (1) दिखाता है। कीमत के ऊपरी ट्रेंडलाइन को छूने के बाद आप बेच सकते हैं और निचले ट्रेंडलाइन (2) पर ट्रेड बंद कर सकते हैं।
नियम 3: सिंपल मूविंग एवरेज का उपयोग करें
यह एक और पुलबैक ट्रेडिंग रणनीति है। पुलबैक होने के बाद प्रवेश बिंदुओं की पहचान करने के लिए सिंपल मूविंग एवरेज (SMA) का उपयोग किया जा सकता है। इसकी अवधि उस समय सीमा पर निर्भर करती है जिस पर आप ट्रेड करते हैं – समय सीमा जितनी कम होगी, अवधि उतनी ही कम होगी। छोटी अवधि के लिए मानक सेटिंग्स 9, 12 और 21 हैं और लंबी अवधि के लिए 50, 100 और 200 हैं।
मूविंग एवरेज ट्रेंड जैसा दिखता है और डाउनट्रेंड में कीमत से ऊपर और अपट्रेंड में कीमत से नीचे चलता है। यह प्रवेश बिंदुओं की पहचान करने के लिए इसे एक उपयोगी टूल बनाता है। ऊपर दिए गए चार्ट को देखें: पॉइंट 1 और 2 बिक्री ट्रेडों के लिए संभावित प्रविष्टियां दिखाते हैं।
नोट: ट्रेंडलाइन के विपरीत जो सटीक प्रवेश और निकास बिंदु निर्धारित करते हैं, एसएमए का सटीकता स्तर बहुत कम है।
नियम 4: ब्रेकआउट और पुलबैक खोजें
ब्रेकआउट के बाद पुलबैक होना बहुत आम है।
ब्रेकआउट एक मार्किट कंडीशन है जब कीमत प्रतिरोध स्तर के सपोर्ट स्तर के नीचे टूटती है, प्रवृत्ति के उलट होने का संकेत देते हुए।
ब्रेकआउट ट्रेड करने का सबसे आसान तरीका चार्ट पैटर्न खोजना है।
ऊपर दिए गए चार्ट में हेड एंड शोल्डर पैटर्न है। मूल्य नेकलाइन (1) के नीचे टूट गया, जो डाउनट्रेंड की शुरुआत का संकेत देता है। इसके बाद, बुल कीमतों को फिर से बढ़ाने की कोशिश करते हैं (2)। हालांकि, वे विफल रहे और कीमतों में गिरावट जारी रही। आप पुलबैक (2) के बाद एक सेल ट्रेड खोल सकते हैं।
नियम 5: फिबोनैकी रिट्रेसमेंट
फिबोनैकी रिट्रेसमेंट एक अन्य टूल है जिसका उपयोग आप पुलबैक निर्धारित करने के लिए कर सकते हैं। विचार एक ठोस ट्रेंड के दौरान संकेतक को लागू करना और कीमत के 23.6%, 38.2%, 50% (1), 61.8%, या 78.6% के स्तर से पलटाव की प्रतीक्षा करना है।
नियम 6: बुद्धिमानी से ट्रेड करें
यह उल्लेख किया गया था कि पुलबैक के बाद आप ट्रेड में प्रवेश कर सकते हैं। किसी पोजीशन को कब खोलना है, इस पर दो दृष्टिकोण, अग्रेसिव और कन्सर्वटिव हैं।
- अग्रेसिव दृष्टिकोण में, ट्रेडर पुलबैक निर्धारित करने के तुरंत बाद आदेश सेट करता है। यह जोखिम भरा है क्योंकि कीमत प्रवेश बिंदु से आगे बढ़ सकती है, खासकर जब बाजार में भारी अस्थिरता हो।
- कन्सर्वटिव दृष्टिकोण में, ट्रेडर तब पोजीशन खोलता है जब मूल्य पुलबैक के बाद एक नया निम्न (डाउनट्रेंड) या एक नया उच्च (अपट्रेंड) सेट करता है।
क्या सीखें
पुलबैक ट्रेडिंग एक आसान रणनीति है, शुरुआती ट्रेडर्स के लिए भी। यदि आप पुलबैक का निर्धारण करना सीखते हैं, तो आप अनुकूल दरों पर बाजार में प्रवेश करते हुए प्रभावी रूप से ट्रेड करेंगे।