ट्रेडिंग परिकलित जोखिम लेने के बारे में है। किसी व्यक्ति द्वारा जोखिम लेने और उसका प्रतिफल देने का एक दिलचस्प उदाहरण स्टीव जॉब्स और स्टीव वोज्नियाक की कहानी है। उन्होंने नौकरी छोड़कर अपनी खुद की कंपनी शुरू करने और कंप्यूटर के शौक़ीन लोगों को Apple I बेचने का जोखिम उठाया। बाकी की कहानी शायद आप जानते हैं।
कभी-कभी, जोखिम का भुगतान नहीं होता है। उदाहरण के लिए, कोडक इंजीनियरों ने 1975 में पहला डिजिटल कैमरा विकसित किया। लेकिन कंपनी डिजिटल तकनीक की क्षमता को देखने में विफल रही, बल्कि अपने आकर्षक फिल्म व्यवसाय पर ध्यान केंद्रित करती रही। इस एक बात ने उन्हें पीछे छूटने से बचने में मदद की होती।
आप कभी नहीं जानते कि कौन सा जोखिम भुगतान करेगा, खासकर एक ट्रेडर के रूप में। लेकिन आप अपनी सुरक्षा कर सकते हैं यदि आप अपने द्वारा लिए जा रहे जोखिम के स्तर को समझते हैं और जानते हैं कि ट्रेडिंग में जोखिम प्रबंधन को कैसे नियंत्रित किया जाए। सबसे पहली बात: जोखिम क्या है?
ट्रेडिंग में जोखिम से जुड़ी मूल बातें
ट्रेडिंग में जोखिम की मूल अवधारणा ट्रेड पर पैसा खोने की संभावना है। यह कई कारकों के कारण हो सकता है, जैसे कि बाजार में उतार-चढ़ाव, अप्रत्याशित घटनाएँ, या किसी कंपनी या संपत्ति के मूल सिद्धांतों में बदलाव।
यदि आप एक ट्रेडर हैं, तो इस अवधारणा के लिए अभ्यस्त हो जाएं। जोखिम ट्रेडिंग का एक अंतर्निहित हिस्सा है, क्योंकि नुकसान की संभावना हमेशा किसी भी निवेश में मौजूद होती है। यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि जोखिम प्रबंधन एक बार की प्रक्रिया नहीं है बल्कि एक सतत प्रयास है कि ट्रेडर्स को नियमित रूप से अपनी रणनीतियों की समीक्षा करनी चाहिए और तदनुसार समायोजित करना चाहिए।
जोखिम को कैसे मापें: जोखिम/इनाम अनुपात और विकल्प
जोखिम की गणना करने का सबसे आसान और सबसे लोकप्रिय तरीका जोखिम/इनाम अनुपात है, जो संभावित जोखिमों के विरुद्ध निवेश के संभावित रिटर्न को मापता है। इस पद्धति के लिए, आपको संभावित लाभ (इनाम) को संभावित नुकसान (जोखिम) से विभाजित करने की आवश्यकता है।
जोखिम/रिवार्ड अनुपात पूरी तरह से सटीक नहीं हो सकता है क्योंकि यह लाभ या हानि की कठिनाईयों को मापता नहीं है। हालांकि, आप ऐसी ट्रेडिंग रणनीति जो सटीक ऑड्स दे उनकी उम्मीद नहीं कर सकते।
लेकिन अगर आप अभी भी अन्य विकल्पों का पता लगाना चाहते हैं, तो जोखिम माप के अन्य तरीके भी हैं:
- बीटा: किसी सिक्यूरिटी या पोर्टफोलियो की पूरे बाज़ार से तुलना करता है (आमतौर पर, S&P 500 इंडेक्स)
- वैल्यू ऐट रिस्क मॉडल: इसका उद्देश्य एक निश्चित समय सीमा में सबसे बड़े संभावित नुकसान की भविष्यवाणी करना है
- ऐतिहासिक डेटा में भिन्नता और स्टैण्डर्ड डीवीएशन: स्टैण्डर्ड डीवीएशन जितना छोटा होगा, आपके लिए उतना ही कम जोखिम होगा
जोखिम/इनाम अनुपात का उदाहरण
अगर कंपनी ए $100 प्रति शेयर पर ट्रेडिंग कर रही है, अगर आपको लगता है कि यह $120 तक बढ़ जाएगा और $100 में आप 100 शेयर खरीदते हैं और $90 पर स्टॉप-लॉस ऑर्डर सेट करते हैं, संभावित लाभ $2,000 है, और संभावित नुकसान $1,000 है।
इस मामले में, ट्रेड का जोखिम/इनाम अनुपात 0.5 ($1,000/$2,000 = 0.5) है।
क्लासिक जोखिम प्रबंधन और ट्रेडिंग रणनीति में, जब जोखिम/इनाम अनुपात 1 से कम होता है, तो यह सुझाव देता है कि निवेश का संभावित प्रतिफल जोखिम से अधिक है। अनुपात के 1 होने का अर्थ है समान जोखिम और प्रतिफल, और 1 से अधिक कुछ भी बहुत अधिक जोखिम है।
ट्रेडिंग में जोखिम प्रबंधन कैसे करें
आपके जोखिम को नियंत्रित करने के कुछ सुलभ तरीके हैं, जिनका आपको संयोजन में उपयोग करना चाहिए:
- स्टॉप-लॉस – यह ब्रोकर के पास प्लेस किया गया एक ऑर्डर है जिसमें एक निश्चित मूल्य तक पहुंचने पर स्वचालित रूप से परिसंपत्ति को बेच दिया जाता है, जिससे ट्रेडर्स को ट्रेड पर अपने संभावित नुकसान को सीमित करने का अवसर मिलता है।
- विविधीकरण – इसका अर्थ है अपनी संपत्ति को विभिन्न बाजारों, उद्योगों और परिसंपत्ति वर्गों में फैलाना ताकि विभिन्न जोखिमों को कई पोजीशन में फैलाया जा सके।
- ट्रेड साइज़ को सीमित करना – यह आपको किसी एक ट्रेड पर बहुत अधिक पूंजी का जोखिम उठाने से रोकता है। आप प्रत्येक ट्रेड के साइज़ पर विशिष्ट डॉलर या प्रतिशत सीमा निर्धारित करके अपने ट्रेडों को सीमित कर सकते हैं।
- मानटरिंग पोजीशन– प्रमुख संकेतकों पर नज़र रखें, जैसे मूल्य स्तर और अस्थिरता, बाजार की समग्र स्थितियों की निगरानी करें और आवश्यकतानुसार समायोजन करें।
ट्रेडिंग में जोखिम प्रबंधन क्यों मायने रखता है
ट्रेडिंग में जोखिम और धन प्रबंधन बहुत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे ट्रेडर्स को अपने निर्णयों के साथ अपने लक्ष्यों और जोखिम सहनशीलता को संरेखित करने में सहायता करते हैं। कोई भी निर्णय यह निर्धारित करने के बाद ही किया जाता है कि संभावित इनाम संभावित नुकसान से अधिक है या नहीं।
इसके अतिरिक्त, जोखिम प्रबंधन रणनीतियों को लागू करना, जैसे स्टॉप-लॉस ऑर्डर और ऊपर सूचीबद्ध अन्य तरीके सेट करना, जिससे ट्रेडर्स को संभावित नुकसान को सीमित करने और अपनी पूंजी को बचाने में मदद मिलेगी।
आप इसे ट्रेडिंग मनोविज्ञान के नजरिए से भी देख सकते हैं। जोखिम प्रबंधन ट्रेडर्स को अनुशासन की भावना बनाए रखने और भावनात्मक निर्णयों से बचने में मदद करता है। जब एक ट्रेड ट्रेडर के खिलाफ जा रहा है, तो एक अच्छी तरह से परिभाषित जोखिम प्रबंधन रणनीति ट्रेडर को भावनाओं में बह कर फैसला न लेने में मदद करेगी। वे घाटे को जल्दी कम कर देंगे और आगे बढ़ेंगे।
समापन विचार
विदेशी मुद्रा ट्रेडिंग या किसी अन्य वित्तीय बाजार में जोखिम प्रबंधन में संभावित जोखिमों की पहचान करना, मापना, प्राथमिकता देना और उन्हें कम करने या उनसे बचने के लिए रणनीतियों को लागू करना शामिल है।इसमें स्टॉप-लॉस ऑर्डर सेट करना, अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाना और नियमित रूप से पोजीशन की निगरानी करना शामिल हो सकता है।
जिन बाजारों और संपत्तियों में आप ट्रेड कर रहे हैं, साथ ही साथ अपनी खुद की जोखिम सहनशीलता की ठोस समझ होना भी महत्वपूर्ण है। कुल मिलाकर, ट्रेडिंग में सफल होने के लिए, एक अच्छी तरह से परिभाषित जोखिम प्रबंधन योजना का होना आवश्यक है।
स्रोत:
Thinking of day trading? Know the risks, US Securities and Exchange Commission
Risk/reward ratio: what it is, how stock investors use it, Investopedia
Never risk more than 2% per trade, BabyPips